भोपाल: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में कथित तौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गांजा बेचने के मामले में पुलिस ने अब अमेजन के कार्यकारी निदेशकों को एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत आरोपी बनाया है, राज्य के गृह मंत्री ने इसे गंभीर मामला बताया है. पुलिस अब तक 4 लोगों को इस केस में आरोपी बना चुकी है. इस केस 3 राज्यों में अभी तक इस मामले के तार जुड़ रहे हैं ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या देश में ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) को लेकर कोई दिशानिर्देश बनेंगे. ये कहानी शुरू हुई भिंड में गोहद रोड पर बने ढाबे से जहां तड़के के लिए तो करी पत्ते का इस्तेमाल नहीं हुआ, लेकिन उसके नाम पर कथित तौर पर करोड़ों के गांजे का सौदा हो गया
ढाबा मालिक पिंटू उर्फ बिजेंद्र सिंह तोमर और उसका साथी सूरज उर्फ कल्लू पवैया 20 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार हुए तो कहानी की परतें खुलने लगीं. गांजे की खेप ऑनलाइन विशाखापत्तनम से मंगवाई गईं थी. आरोपियों से पूछताछ के बाद हरिद्वार से एक और आरोपी पकड़ा गया. फिर पता चला कि आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलावा, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड से भी इस रैकेट के तौर जुड़े हैं. सूरज पवैया ने खुद को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खुद को हर्बल उत्पादों के विक्रेता के रूप में पंजीकृत किया था. अब पता चला है कि विशाखापत्तनम के श्रीनिवास राव उर्फ बासु से वो गांजा खरीदता था.
बासु ने आरोपियों को शहर में किराये से एक रूम दिलवाया था. इसी रूम से 2 किलो के पैकेट बनाकर डिलेवरी ब्वॉय को दिया जाता था. मामले में विशाखापत्तनम पुलिस ने बासु, अमेजन वैन के 2 पिकअप ब्वॉय और ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. उनके पास से 48 किलो गांजा,वेट मशीन और कंपनी के कवर, सेलो टेप और खाली पैकेट भी जब्त किए गए. सूत्रों के अनुसार, गुजरात की एक टेक्सटाइल कंपनी के ब्यौरे के साथ बारकोड लिया और नशे का सौदा करने लगे, 4 महीने में एक करोड़ 10 लाख का माल बेचा जिसका 66 % मुनाफा ऑनलाइन कंपनी को गया.
भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के मुताबिक, अभी तक 384 कनसाइमेंट भेजे जा चुके हैं लेकिन पूछताछ के बावजूद कंपनी से अभी तक अपेक्षित सहयोग नहीं मिला है. आरोपियों ने ऑनलाइन कंपनी बनाई थी, झूठा जीएसटी नंबर, मोबाइल नंबर दिया था अमेजन के प्लेटफॉर्म से स्टीविया के नाम पर गांजा बेच रहा था. कंपनी के वकील कुछ दिनों पहले भिंड आए थे, उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वो जांच में सहयोग करेंगे. कंपनी की ओर से आए वकील सुमंत नारायण ने कहा कि मामला जांच के दायरे में है, इसलिए कुछ कमेंट करना ठीक नहीं होगा. लेकिन अमेज़ॉन इस मामले में पुलिस के साथ पूरी मदद करेगी. मामले की तह तक जाएगी.
पुलिस ने कुछ डिटेल मांगी है जो हम जल्दी जल्दी मुहैया कराएंगे. हालांकि राज्य के गृह मंत्री का कहना है कंपनी सहयोग नहीं कर रही है, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कहा कि एक कंपनी जिसका अकाउंट गलत है, नाम गलत है, जीएसटी नंबर गलत है. उसके साथ अमेजन व्यापार करे, वो भी नशे का ये साइबर से गंभीर क्राइम है. ये देश में पहली कार्रवाई धारा 38 के तहत की गई है.
उनका कहना है कि अभी तक अमेजन ने जांच में सहयोग नहीं किया, आग्रह भी कर रहा हूं और चेतावनी भी दे रहा हूं जांच में सहयोग करें. सूत्रों के मुताबिक, 20 पैकेट ऐसे हैं जो ऑनलान बुक हुए थे. लेकिन पुलिस कार्रवाई होने के बाद जिसके नाम पर बुक हुए उसके पास नहीं पहुंचे थे. यानी उन्हें ट्रांज़िट के दौरान गायब किया गया था. सवाल ये है कि जब ये पैकेट कंपनी के आधिपत्य में थे तो उस दौरान ग़ायब कैसे हुए.